कवयित्री कुमारी चन्दा देवी स्वर्णकार जी द्वारा सुंदर रचना

सूर्य देव

कार्तिक मास में सूर्य अपने प्रश्न सबसे कम शक्तिशाली होता है अतः सूर्य क्या नमन करके पूजन किया जाता है सूर्य को विशेष रूप से सृष्टि का व्रत कराया जाता है सृष्टि का पुत्र कामना और मनोवांछित कार्य के लिए किए जाते हैं यह पहले दिन खाए नहाए का होता है दूसरे दिन स्नान ध्यान मिला होता है तीसरे दिन शाम को सूर्यास्त की पूजा की जाती है और सुबह सूर्योदय पर सूर्य को अर्घ देकर फिर दूध इत्यादि तैयार किया जाता है और को दिया जाता है उसमें दूध और पानी दोनों मिलाकर सूर्य को दिया जाता है.।

ा वैज्ञानिक रूप से भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है इससे शुगर हर्निया थायराइड ब्लड प्रेशर इत्यादि बीमारियों से निजात मिलती है सूर्य की किरणों जब शरीर के अंदर जाती हैं तो विटामिन डी पैदा करती हैं जो हड्डियों के लिए लाभकारी होता है यह त्यौहार मुख्य रूप से आगरा मैं महाभारत के समय प्रचलित हुआ जो भागलपुर क्षेत्र में आता है वहां का शासक सम्राट भगवान सूर्य का विशेष रूप से उनकी इसके कारण सूर्य का कार्यक्रम और भी ज्यादा सफल हुआ और आज तो पूरे विश्व में मनाया जाता है इसमें मुख्य रूप से गन्ना के रस की खीर खाई जाती है व्रत होता है।
सुख में सभी पूजा की सामग्री रखें नदी सरोवर घाट के किनारे ले जाते हैं और वहां पर शाम को सूर्यास्त करते हुए अर्क दिया जाता है और सुबह सूर्योदय का इंतजार किया जाता है और सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच में इस व्रत को मुख्य रूप से किया जाता है वादियों को दूर करने वाला है शारीरिक दुर्बलता को दूर करने वाला है मानसिक शांति देने वाला है।
शादी के दिन ही किया जाता है क्योंकि इस दिन सूर्य का व्रत करने से बहुत ज्यादा फायदा होता है इसी तरह हर छठ हलदर की पूजा भी छठ के दिन की जाती है यह संतान को परिपक्व बनाने के लिए भगवान से प्रार्थना करते हुए की जाती है इसलिए यह व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है सूर्य देव की जय

 कुमारी चन्दा देवी स्वर्णकार जबलपुर मध्यप्रदेश

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