आशुकवि प्रशान्त कुमार"पी.के." जी द्वारा खूबसूरत रचना#

*साहसी बालक*
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              सोलह साल का एक साहसी बालक जिसके गाल पर एक भयंकर रूप लिए फोड़ा न सिर्फ जिसे देखकर सब परिजन और प्रियजन परेशान थे बल्कि इस बात से भी परेशान थे कि उनके इस फोड़े का घरेलू उपचार किया जा रहा था और घरेलू उपचार के चलते उस फोड़े को गर्म सलाख से फोड़कर उसकी शल्य चिकित्सा करनी थी जो उस भयंकर रूप ले रहे फोड़े के लिए अत्यंत आवश्यक था।।
       और इस कार्य के लिए उपस्थित लोगों में किसी की भी हिम्मत नही पड़ रही थी क्योंकि इससे उत्पन्न होने वाली अत्यंत असहनीय पीड़ा को देख पाना सभी के लिए अत्यंत दुःखद था।
       किसी की हिम्मत न पड़ते देख उस बालक ने वह लोहे की गर्म सलाख उठाकर उस फोड़े पर लगाकर उसकी शल्यचिकित्सा करने लगा।
          वह साहसी और निडर बालक और कोई नही भारत के स्वतंत्रता संग्राम में निर्णायक भूमिका निभाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल जी थे।। जो अदम्य सौम्य साहस और सहनशीलता के धनी थे।।
       ऐसे थे सरदार वल्लभभाई पटेल।।
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आशुकवि प्रशान्त कुमार"पी.के."
   पाली हरदोई (उत्तर प्रदेश)

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