कवयित्री डॉ.रेखा मंडलोई जी द्वारा 'करवा चौथ' विषय पर रचना

करवा चौथ पर
 करवा सजाने के बाद, सोलह श्रृंगार कर  लिया है मैंने।
सुहाग की लंबी उम्र हेतु, निराहार उपवास रखा है मैंने।
चांद के दर्शन को छत पर ही डेरा डाल दिया है मैंने।
शंकर - पार्वती की कर पूजा उन्हें भी मना लिया है मैंने।
बना स्वादिष्ट मिष्ठान प्रभु को भोग अर्पण कर दिया है मैंने।
चांदनी रात में छलनी में उनके दीदार की तैयारी कर ली है मैंने।
करवा में भर जल कर चांद को अर्पिंत करने की तैयारी कर ली है मैंने।
 उनके हाथों उपवास तोड़ने को आतुर मन में खुशी को धारण कर लिया है मैंने।
 पति के स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना को कर लिया है मैंने।
उपवास के साथ समर्पण का भाव भी बसा लिया है मैंने।
करवे के पानी से उपवास तोड़ने का मन बना लिया है मैंने।
पानी पिलाने के लिए पति के मन में आतुरता को देखा है मैंने।
सम्पूर्ण विश्व में इस व्रत को धूम धाम से करते देखा है मैंने।
संबंधो में अटूट श्रद्धा भाव को महसूस किया है मैंने।
 सुखी वैवाहिक जीवन बिता मजबूत आधार पाया है मैंने।
डॉ. रेखा मंडलोई' गंगा' इंदौर

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