करवा चौथ पर विशेष
पतिदेव
" मनमीत "
मनमीत बनकर
प्रीत मेरी बन गए
इस दिल के धड़कन
की वजह हमराही मेरे बन गए ...
साथ सुहाना ऐसा पाया
मन एकाकार हुआ .....
सपनों से सजे इस आशियां
में जीवन अपना गुलज़ार हुआ
सात फेरों का यह बंधन
जन्म जन्मांतर का साथ चाहे ......
कभी इकरार ,कभी तकरार
पर दिल को बिन तेरे जरा भी ना चैन आए
दिन और रात तुझसे ही
सुहाने लागे , जीवन
इंद्रधनुषी सा रंगीन मोहे लागे ....
मेरे चेहरे पर दस्तक देती
हरपल मुस्कान का
राज पिया तुम हो .....
औपचारिकता का आडम्बर तुझसे
नहीं हो पाए ....
प्यार का कभी इजहार हो
मेरा चंचल मन ये चाहे
कोई खता नहीं तेरे प्यार की ,
गहराई को मैने दिल से नापा है
मेरी चुप्पी तुझे कमजोर कर देती
इसलिए ही बन चंचल में चहकते रहती ...
सजनी के दिल पर पिया राज तुम ही करते हो
साथ साथ रहकर
जीवन बगिया महकाए हो
जोड़ी हम दोनों की ऐसी
दिया संग हो बाती जैसी ।
राजश्री राठी
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