कवयित्री वीना आडवाणी द्वारा 'करवा चौथ' विषय पर रचना

करवाचौथ
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सोलह श्रृंगार कर लो
फिर गौरी है तैयार।।
खुशी है चेहरे पे सुहाग
रहे सदैव बरकरार।।
हाथों मे मेहंदी,संग
रचे सुखी परिवार।।
साजन के दीदार संग रहे सदाबहार।।

हाथों मे मेहंदी रचा पिया का नाम सजाई
माथे पे बिंदिया,मांग मे सिंदूर,कानों मे बाली पहन
सोलह श्रृंगार कर अपना सुहाग सलामत चाही
साजन के दीदार पा ही मैं भी मुस्काई।।
बिखर रही हर और जैसे मदमस्त छटा
साथ दे रही ये बारिश संग साजन घटा।।
मदमस्त हो झूमे जैसे फिर अलहड़ जवानी
साजन संग सदैव मुस्कुराते कटे जिंदगानी
इन्हीं मुरादो संग कटे हसीन ये रवानी।।2।।

करवाचौथ संग रहे सदा परिवार मे खुशहाली।।2।।

वीना आडवानी
नागपुर, महाराष्ट्र
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