कवयित्री अंजनी शर्मा द्वारा 'पतिदेव' विषय पर रचना

करवा चौथ प्रतियोगिता 

विषय: {पतिदेव}

प्रिय शुभ


हाँ तेरी सोहबत में चाहत बदनाम हुई जाती है।
तिरे बग़ैर ये ज़िंदगी सुनी हुई जाती है।।
तू जुनूँ है मेरी आवारा ख़्वाहिशों का।
कि तेरी रूह मेरे जिस्म में अबराम हुई जाती है।।

पल पल महकता मेरी रूह का हर कोना ।
दर्द -ए- दरिया गुलिस्तान हुई जाती है।
अस्ब कहती है कि यही रहनुमा है तेरा ।
क्योंकि हर टीस अब मसकान हुई जाती है।। 

नजर भी क्यूँ ठिकाना ढूंँढती उसके पहलू में।
तड़प उससे मिलने की हुक्मरान हुई जाती है ।।

तिरी बेचैनियों को आराम क्यूँ नहीं मिलता अमृता ।
आरज़ू तेरी जुनूँ-ए- शबिस्तान हुई जाती है ।।

अक्स तेरा तैरता रहता मिरी ग़ज़ल में।
कि होश-ए मीनार गुमनाम हुई जाती है।।

मेरा होना ही सबब है तेरे होने का।
बगैर तेरे हर सांँस फ़ना मकान हुई जाती है ।।



अंजनी शर्मा,
गुरुग्राम, हरियाणा द्वारा स्वरचित काव्य रचना
मेरी सर्वाधिकार सुरक्षित व मौलिक रचना

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