कवि जितेन्द्र विजयश्री पाण्डेय 'जीत' जी द्वारा सुंदर रचना

*राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय 'बदलाव मंच'*
दिनांक - १८.११.२०२०
विषय - दीपोत्सव
शीर्षक - कुछ सीखो मानव इस दीपक से
विधा - कविता (पद्य)

प्रदीप्त दीप तम दूर करे,
नव चेतन नव श्रृंगार करे।
कुछ सीखो मानव इस दीपक से,
स्वयमेव जलकर औरों के मनस तम को उदीप्त करे।।

दिया और बाती एक-दूजे से प्रीत करे,
तेल या घी बाती को अभिषिक्त करे।
कुछ सीखो मानव इस दीपक से,
स्वयमेव तड़पकर औरों के जीवन तम को मुक्त करे।।
©® जितेन्द्र विजयश्री पाण्डेय 'जीत'
*मौलिक व स्वरचित रचना*

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