प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन" जी द्वारा अद्वितीय रचना#

*सायली छंद*
*स्वरचित रचना*
कवि
बहुत है।
 कविता भाव नही।
लयबद्ध कौन
 करे।।

सुनो
रसपान करो।
चाहे प्रेम हो।
या कविता
 हो।।

लूटना
उसी को।
जिसका सच में
झोली भर
 सको।।


सुनो।
मरे को।
मारना कहाँ ठीक
है बताओ।
तो।।

सुनों।
मुझे आजमाना 
मेरे जुनून को नही।
क्या समझे
 तुम।


कवि
बहुत है।
 कविता भाव नही।
लयबद्ध कौन
 करे।।

सुनो
रसपान करो।
चाहे प्रेम हो।
या कविता
 हो।।

लूटना
उसी को।
जिसका सच में
झोली भर
 सको।।


सुनो।
मरे को।
मारना कहाँ ठीक
है बताओ।
तो।।

सुनों।
मुझे आजमाना 
मेरे जुनून को नही।
क्या समझे
 तुम।

*प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन"*

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