डॉ अलका पाण्डेय जी द्वारा अद्वितीय रचना#

बदलाव मंच 
२३/११/२०२०
विषय - मेरा पहला पहला प्यार 
शीर्षक- मेरा पहला पहला प्यार

पहला पहला प्यार हुआ है 
जिया  मोरा बेक़रार हुआ है ।।

मेरे दिल में बजती है शहनाई 
प्यार की है यह कैसी गहराई ।।

पहले पहले प्यार का कैसा छाया खुमार 
उसकी बाते याद आती है   मुझे बेसुमार  ।।

उसकी बाँकी चितवन , जिया मोरा चुराये ।
उसका होले होले मुस्काना , दिल में खुशी जगायें ।।

न जाने कब ये प्यार हुआ कैसे हुआ । 
मैं जानूँ न वो जाने , खोया खोया मन हुआ ।।

पहला पहला प्यार का सिलसिला है । 
अब तो रहा न जाये कुछ न भाये , कैसा ये नशा है ।।

संखियों के संग हँसी ठिठोली खेलना ,अब रंग लाता नहीं है । 
बहक रहा है मन बहकी है पवन  कैसे सम्भालू, कुछ पता नहीं है ।।

मेरा पहला पहला प्यार है 
पहला पहला ही एहसास है ।।

चंद पलों में बदल गई सारी दुनियाँ । 
रास न आये मुझको अब मेरी मुन्नियाँ ।।

मुझे सागर में डूब जाना होगा । 
सारे रिश्तों से छिप जाना होगा ।।
मेरा पहला पहला प्यार है । 
पहला पहला ही अहसास है 

डॉ अलका पाण्डेय- मुम्बई 
स्वरचित

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