कोई कहे शीतला माँ,
कोई कहे माता भवानी,
कोई कहे वैष्णो माँ ,
लेकिन, हम तो कहें ,
हे! अंबे माँ ,आदि शक्ति नवदुर्गे माँ कहें।
तू है तीन लोक की स्वामिनी,
तुमसे है दिनकर और यामिनी।
गगन तेरी बदौलत इठलाए,
तेरी कृपा से धरती श्रृंगार कर इतराए।
तेरे दर्शन पाकर मातेश्वरी,
खुलता किस्मत का ताला।
कोई कहे...
तेरी इच्छा से इस जगत में मौसम आए-जाए,
तेरी इच्छा से ही माते ,भंवरा भी गुनगुनाए।
तेरी कृपा से बहता नदियों का पानी,
तुझसे हुई धरती माँ की चूनर धानी।
तेरी ही दया से मातेश्वरी
मिलता सबको निवाला।
कोई कहे....
एक नहीं यहाँ है हजारों महिषासुर,
मानव चोला ओढ़े घूमे बने असुर।
हे! नवदुर्गा आदिशक्ति माँ,
चारों तरफ आतंक मचा, होते बेटियों पर अत्याचार,
आकर कर दो माता फिर से दुष्टों का संहार।
तेरी प्रीती से हे! मातेश्वरी
घर आँगन बनती मधुशाला।
कोई कहे...
** एकता कुमारी **
0 टिप्पणियाँ