कवि अनन्तराम चौबे अनन्त द्वारा 'किसान' विषय पर रचना

राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता का आयोजन
दिनांक ..1दिसम्बर से 7 दिसम्बर 2020
विषय.. किसान


    किसान

गरीब किसान
सच्चा इन्सान
धरती विछौना
छत आसमान ।

धोती कमीज में
फटेहाल रहना ।
धान के पियार की
कथरी बिछाना ।

कथरी ही ओढकर
पेड़ की छाँव में सोना ।
खेतो का है रोज
यही बस बिछौना ।

ठंड और गर्मी का
यही है बिछौना ।
बरसात में कीचड
पानी रहना है ।

मडुवा के मचौना में
ढबुआ रखा रहता है ।
पूरी बरसात में
समय ऐसे कटता है  ।

गरीब किसान तो
ऐसा गुजर करते है ।
गक्कड़ भरता खाकर
जीवन यापन करते है ।

आलू भटा टमाटर को
आग में भूज लेते है ।
पानी नमक मिर्च 
डाल भरता बना लेते है ।

छप्पन भोजन का स्वाद
गकक्ड़ भरता में लेते है ।
ठंड धूप बरसात हो
फटे हाल रहते है ।

ऐसी कड़ी मेहनत कर
अनाज पैदा करते है ।
गरीब हो अमीर हो इसी
अनाज से पेट सभी भरते है ।

गरीब किसान हमेशा
ही फटे हाल रहते है ।
बक्त में जो मिल जाय
वैसे ही गुजर बसर करते है ।

  अनन्तराम चौबे अनन्त 
   जबलपुर म प्र 
   मौलिक व स्वरचित
       

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