गीता पाण्डेय'अपराजिता जी द्वारा खूबसूरत रचना#

नमन- बदलाव मंच
शीर्षक :-- विश्व मानव अधिकार दिवस 
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28 सितम्बर 1993 को ,
यह कानून बनाया गया,।
12 अक्तूबर 1993 को ,
इसे अपनाया गया ।
10 दिसंबर को मनाते,
 विश्व मानव अधिकार दिवस ।
रहें सदा खुशहाल सभी,
ना ही कोई रहे विवश ।
मानव अधिकारों का हनन,
सदा होता रहता है ।
जागरूक इनसे रहें,
गीता भाव यही कहता है ।
गरिमामय जीवन सबका,
संरक्षण सहज मिले ।
भेदभाव,छूआछूत अरु,
मिटें शिकवे गिले ।
नवल सृजन हित साथ सभी का,
 महा मन्त्र बन जाये ।
जग उपवन की कलिका महके,
धरा गगन मुसकाये ।
मानवता हो न कभी कलंकित,
जन जन स्नेह बढें ।
संघर्षों के पथ पर चलकर,
हम नव इतिहास गढें ।
छल,चंद्म, कपट से दूर सदा,
मिल आतंक मिटायेंगे ।
अमर संस्कृति रहे हमारी,
गंगा स्वच्छ बनायें ।
पर्यावरण संरक्षण हित,
जन जन अलख जगायेंगे ।
मिल करके हम कर्म बोध का,
नव अभियान चलायेंगे ।
प्रखर साधना रत नारी की,
गरिमा आज बचायेंगे ।
देशभक्ति,बासन्ती चोला,
कश्मीर का भाल सजायेंगे ।
संविधान,मौलिक अधिकारों,
का हम उपयोग करेंगे ।
मिली हमें जो आजादी है,
उसका उपभोग करेंगे ।

गीता पाण्डेय'अपराजिता'
उप प्रधानाचार्या
करहिया बाजार
रायबरेली (उ0प्र0)

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