पल दो पल के#निर्मल जैन 'नीर' जी द्वारा खूबसूरत रचना#

पल दो पल के....
*******************
एक ही हल~
थोड़ा सा मुस्कुरा ले
पल दो पल
करो मंथन~
मोह माया के तोड़
सारे बंधन
कोई न मोल~
ये मनुष्य जीवन
है  अनमोल
क्रंदन छोड़~
कर ले दान पुण्य
मुख न मोड़
कैसा गुमान~
धरा रह जायेगा
मान सम्मान
*******************
निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर
राजस्थान

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ