पल दो पल के....
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एक ही हल~
थोड़ा सा मुस्कुरा ले
पल दो पल
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करो मंथन~
मोह माया के तोड़
सारे बंधन
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कोई न मोल~
ये मनुष्य जीवन
है अनमोल
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क्रंदन छोड़~
कर ले दान पुण्य
मुख न मोड़
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कैसा गुमान~
धरा रह जायेगा
मान सम्मान
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निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर
राजस्थान
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