श्रीमती गीता पाण्डेय जी द्वारा खूबसूरत रचना#आत्मनिर्भर भारत की उड़ान#

बदलाव मंच को नमन ।

शीर्षक:‐
आत्म निर्भर भारत की उड़ान
विज्ञान एवं तकनीक में योगदान ।
××××××××××××××××××××××
बढ़ चला आज फिर भारत प्यारा,
विश्व -गुरू की उस राह दुबारा ।
जहाँ ज्ञान  विज्ञान  से  आगे ,
मानवता  के  पक्के   धागे ।
धर्म सहज ,अध्यात्म सुशोभित,
हित अपना , जब होता परहित ।
 निज कौशल विस्तार करें हम,
मानव  मन  से प्यार करें हम ।
शोध नवल हो,स्नेह विमल हो,
तकनीक नई, लक्ष्य अटल हो ।
 सबका साथ विकास सभी का ,
भू ,जल,नीलाकाश सभी का ।
बनें आत्म निर्भर सब कोई ,
न खबर बने, फिर कलिका रोईं ।
 कर्म सुपथ गीता दिखलाये ,
दृष्टिहीन पर्वत चढ जाये ।
 ज्ञान सरल विज्ञान पढ़ा कर,
 सहज शून्य को शिखर चढ़ाकर।
विज्ञान और तकनीक के सहारे,
आत्म निर्भर भारत ने पॉव पसारे ।
बीत गया दुर्दिन का अंधियारा,
नव विकास का फैला उजियारा ।

गीता पाण्डेय
उपप्रधानाचार्या
करहिया बाजार
रायबरेली (उ0प्र0)

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ