कवयित्री सीमा पासवान द्वारा 'श्याम' विषय पर रचना

नमन मंच 🙏


मैं श्याम रंग में रंग गयी 
मैं भक्त जोगन बन गयी 
कलयुग की मीरा बन 
श्याम भक्ति में डूब गयी

हृदय में भर कर कुछ आस 
गलियों में भटकती आज 
श्याम दरश की ले कर प्यास 
तेरी माया के बहुत हैं राज 

किस दर ढूँढू कान्हा तुम्हें 
 हर दर पर हैं बास  तेरे 
कण कण में तू समाया प्रभु 
मैं अज्ञानी ना समझी तुम्हें 

माना तुम्हें अब अपना कान्हा 
भूल गयी तू जगत का लला
युगों से तप करे ऋषिमुनि 
तेरे बस एक झलक के प्यासा 

देखो तेरे प्रेम में रम गयी 
तेरी मुरली धुन में खो गयी 
वंशीधर तेरी सूरत दिल बसा 
अब मैं तेरी दीवानी हो गयी 

कलयुग की मैं मीरा बनी 
सुध बुध खो बावरी बनी 
बस एक आस तेरे मिलन की 
तभी तो देखो मैं जोगन बनी 

साँवली सूरत पर जग फ़िदा 
मेरी भी अरज सुन लेना कदा 
मैं भी दर पर आस लगा  खड़ी 
नैनो पर कर दो उपकार सदा 

जो भी देखूँ फिर सुंदर देखूँ 
प्रभु की माया नैनो से देखूँ
नफ़रत के ना कोई बीज बोए 
सम्मान इंसानियत के फिर देखूँ ।।

स्वरचित - सीमा पासवान

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