कवयित्री डॉ मीना कुमारी परिहार द्वारा 'गुरुनानक' विषय पर रचना

बदलाव मंच को नमन
विषय-गुरुनानक देव
विधा-काव्य
दिन-30/11/2020


जय जय हे गुरुनानक प्यारे
मुझको दे दो ऐसा आशीष
जब भी आंखें खोलूं 
दर्शन तेरे पाऊं
हे मेरे सदगुरु तुम ही मेरा खेवनहार
करता मुझको इतना प्यार
नानक -नानक मैं हरदम पुकारूं
अपने गुरु को  मैं ढूंढती फिरूं
आप प्रगट हुए तो हुआ चारों ओर उजाला
दूर हो ग‌या सारा अंधियारा
मानव सेवा, परमार्थ का
पाठ हमें पढ़ाया
दीन दुखियों से प्रेम करो
हरदम उनकी मददगार बनो
यह मंत्र हमें सिखलाया
यह संसार मिथ्या है सत्य है ईश्वर
 अपने हमें बखूबी बतलाया
वेद, पुराण, कुरान,बाइबल सभी का सारे हमें समझाया
पावन पवित्र गुरुवाणी सुनकर
मिट जाते अज्ञान हमारे
भूले भटके इस जग को आपने
सत्य की राह बराबर दिखलाई
घृणा, द्वेश,दुश्मनी को मिटा प्रेम की सबके मन में ज्योति जलाई
जय जय  हे गुरुनानक प्यारे
इस जग की मोह-माया ने है मुझको घेरा
ऐसी कृपा करो गुरु जी नाम ना भूलूं आपका
सर पर हो मेरे गुरुवर का हाथ
आप रहें हरपल,हरदम मेरे साथ
है विश्वास सदा आप ही राह दिखायेंगे
अब तो मेरे सारे बिगड़े काम बन जायेंगे
जब तक मेरे गुरुवर हैं साथ
कोई बाल ना बांका करेगा मेरा
उनकी वाणी मिश्री सी लगती मुझे
उन बिन कोई मंजिल ना सूझे मुझे
बिन नाम तेरे इक पल भी ना  जीना
ऐसा वरदान मुझे आप देना
जय जय हे गुरुनानक देव जी!

डॉ मीना कुमारी परिहार

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