सविता मिश्रा जी द्वारा खूबसूरत रचना#

मंच नमन 
बदलाव मंच (राष्ट्रीय - अंतरराष्ट्रीय) 
साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु रचना
विषय - किसान
विधा - कविता
दिनांक - 1-12-2020
दिन - मंगलवार
है हमारे देश की शान, 
करते हैं दिन रात काम l
हैं हमारे देश के किसान l1l

होते हैं माटी के समृत, 
मिट्टी से सोना है उपजाते l
अपने श्रम से संसार का पेट है भरते l2l

अधिक पढ़े -लिखे नहीं है होते , 
खेती की बारिकियों का ज्ञान है होता l
मौसम के बदलते मिजाज को पहचान नीति निर्धारित करने में दक्ष है होते l3l

कृषि है मुख्य पेशा, 
पशुपालन है सहायक पेशा l
पशु कृषि कार्य में करते हैं सेवा l4l

जीवन सीधा - सादा है होता, 
पहनावा सरल है होता l
हरित क्रांति का अग्रदूत है होता l5l

प्रकृति के सहचर होते हैं किसान, 
बहुत परिश्रम होते हैं किसान l
देश के अन्नदाता होते हैं किसान l6l

देश का आधार स्तंभ होते हैं, 
देश की आर्थिक व्यवस्था टिकी होती है l 
आनन्द,ऐश्वर्य और वैभव हम लोग भोग पाते हैं l7l

*जय जवान, जय किसान* का नारा दिया शास्त्री जी ने, 
*जय जवान,जय किसान,जय विज्ञान* का नारा दिया अटलजी ने l
किसानों के महत्व को दर्शाता दिया ऐसा नारा महापुरुषों ने l8l

होना चाहिए देश के अन्नदाता का सम्मान, 
होना चाहिए देश की शान का मान l
होना चाहिए देश के आधार स्तंभ का आदर l9l

सविता मिश्रा (शिक्षिका, समाजसेविका और साहित्यकार) 
वाराणसी उत्तर प्रदेश 
स्वरचित और मौलिक रचना

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ