कवि एल. एस.तोमर द्वारा 'किसान' विषय पर रचना

*राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच*  

 *वीडियो काव्य प्रतियोगिता* 

 *विषय - किसान* 


पसीने में डूबे बदन, थके,

जगे नयन रात भर के।

भूखे पेट देखते भविष्य का,

जलना धू , धू करके।।

भारत माता के जो, 
दाता कहलाते हैं।

         आंसु पीते पल, पल ,
          फाके खाते हैं।

खुद कांटे से कष्टों में ,
 ही रह जाते हैं।
     
    पुष्ट  क्षुदा सबकी हरके।।1

    भूखे पेट देखते भविष्य का,
            
            जलना धू,धू करके।।

सींचते हैं संतानों सा,

 शाखी समीरण को।

        सहे संताप स्वयं,

         सख्त सिहरन को।

मेहनत मूक सी मुफ्त,

   मृदुल मोती महाजन को।

सर को बचाते घर को,

                 गिरवी धरके।।।2

           
        भूखे पेट देखते भविष्य का,


               जलना  धू,धू करके।।


भविष्य भारत का,

  भयभीत सा है।

        घट में घटती घटना, घोट,

          घनघोर घसीटता है।

कर्म युद्ध किसान का,
   
             कर्मठ  चीखता है।
 
   सवारेंगे हम राष्ट्र को,

                  स्वयं संवर के।।।3

भूखे पेट देखते भविष्य का,

             जलना  धू,धू करके।।


 *मौलिक* 
 *एल. एस.तोमर प्रवक्ता तीर्थांकर ** *महावीर विश्व** *विद्यालय* 
 *मुरादाबाद यूपी*

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