कवि भास्कर सिंह माणिक,कोंच द्वारा 'भारतीय नारी' विषय पर रचना

मंच को नमन

     भारतीय नारी
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शौर्य शक्ति की पहचान 
भारतीय नारी।
लाज धैर्य प्रेम की शान 
भारतीय नारी।।

युग बदले हैं इतिहास रचे हैं 
नारी ने
ममत्व के अनुपम गीत लिखे हैं
 नारी ने
मत निर्बल कह कर उसका
 उपहास करो तुम 
वीर ज्ञानी विज्ञानी 
जन्में हैं नारी ने

सदा रही पुरुष का मान 
भारतीय नारी।
शौर्य शक्ति की पहचान 
भारतीय नारी।।

दिया शीश काट उपहार
भाल तिलक कर के
पीया रक्त दुश्मन का
रण में खप्पर भर के
डिगी कभी न 
अपना कर्तव्य निभाया हॅऺसकर
मातृभू रक्षा हित
दिये दान प्राण बढ़कर के

सींचती खूं से उद्यान
भारतीय नारी।
शौर्य शक्ति की पहचान
भारतीय नारी।।


नारी के सम्मुख यम ने भी 
हारी मानी
करते हैं वंदन जगत के
ज्ञानी विज्ञानी
त्रिदेव का करती पोषण 
भक्ति की मूरत
ग्रंथन ने नारी की
यश कीर्ति बखानी

रखती है वचन की आन
भारतीय नारी।
शौर्य शक्ति की पहचान
भारतीय नारी।।

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मैं घोषणा करता हूंँ कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
         भास्कर सिंह माणिक,कोंच

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