कवि डॉ. राजेश कुमार जैन द्वारा 'सफर कटता नहीं हमसफर के बिना' विषय पर रचना

सादर समीक्षार्थ
गीत
सफर कटता नहीं हमसफर के बिना।


सफर कटता नहीं हमसफर के बिना
बड़ा मुश्किल है जीना तेरे बिना
कहना आसाँ रह लूँगा तेरे बिना 
चला न जाता दो कदम तेरे बिना ..।।

सफर कटता नहीं हमसफर के बिना
थी उम्मीद बहुत हमें जिंदगी से 
अब भरोसा किसी पर भी रहा नहीं 
तेरे बिना मन कहीं लगता नहीं..।।
 
सफर कटता नहीं हमसफर के बिना
गुनाह लगता है जीना उसके बिना 
मान जाओ ना जाओ अभी तुम सनम
साँस  रूठने लगती है तेरे बिना..।।

सफर कटता नहीं हमसफर के बिना
 दिन निकलेगा नहीं सूरज के बिना 
वक्त कटता नहीं तुझे देखे बिना
 जाँ निकल ही जाएगी तेरे बिना..।।
 


डॉ. राजेश कुमार जैन
 श्रीनगर गढ़वाल
 उत्तराखंड

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