कवि प्रो.डॉ. दिवाकर दिनेश गौड़ द्वारा 'किसान' विषय पर रचना

कविता शीर्षक- किसान

आवारों की नज़र में जो बेचारा है
भारत का किसान उनकी नज़र में ऐसा हमारा है
मेहनतकश लोगों का ज़मीर, आंख का तारा है
भारत का किसान उनकी नज़र में ऐसा हमारा है।
      दुनिया घूमे इर्द गिर्द है
       उसके, वो मगन है
     सर्दी, गर्मी, बरसात में भी
    काम की उसको धुन है
ख़ाली पेट जो काम करे, ऐसा वो अभागा है
भारत का किसान उनकी नज़र में ऐसा हमारा है।

    पेट भरे है जगत का वो
    उसका तो ख़ाली रहता है
   निस्पृह रह वह काम है करता
   फिर भी सवाली रहता है
खाद, बीज जो मांग ले वो नहीं किसी को गवारा है
भारत का किसान उनकी नज़र में ऐसा हमारा है
बिना थके वो काम है करता परिश्रम उसका सहारा है
भारत का किसान उनकी नज़र में ऐसा हमारा है।

रचनाकार@स्वरचित एवम् मौलिक
प्रो डॉ दिवाकर दिनेश गौड़
गोधरा (गुजरात)

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