कलावती कर्वा जी द्वारा अद्वितीय रचना#भारत की उड़ान विज्ञान एवं तकनीक में योगदान#

जय माँ शारदे 
सम्मानीय मंच सादर नमन 

आत्मनिर्भर भारत की उड़ान विज्ञान एवं तकनीक में योगदान 

हम सब मिलकर करेगें देश हित अच्छा काम। 
जिस से ऊँचा पूरे विश्व में भारत देश का नाम। 

अपनी कलम से हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार। 
साहित्य द्वारा अभियान चलाएं हर कलमकार। 

स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ यह अभियान। 
स्वदेशी उत्पादनों से बनाएयेगें अपनी पहचान। 

अपने देश की कलाकारी अद्भुत सुंदर मनोरम। 
बढ़ावा देगे पर्यटन देश में ही भ्रमण करेंगे हम। 

अपनी संस्कृति,संस्कारों को देगे हम महत्व। 
तभी बचा पाएगें अपने शास्त्रों का अस्तित्व। 

जङी बुंटी आयुर्वेद ऋषि मुनियों की खोज। 
हवन, ध्यान, योग प्राणायाम करेंगे हम रोज। 

 हम ही है भावी पीढ़ी के भविष्य का कर्णधार। 
 युवा ही होगे नवभारत का नवीन सृजनहार। 

अपनी क्षमता का उपयोग नित नया अविष्कार। 
अपने देश में ही करेगे हम वैज्ञानिक चमत्कार। 

हम क्या थे क्या हो गए खुद में सिमटकर रह गए। 
आधुनिक बनने की होड़ में आज अपनों से दूर हो गए। 

मैं से हम बन दिखाना एकता की शक्ति का दम। 
पूरे विश्व में भारतवासी हम,नहीं किसी से कम। 

कलावती कर्वा

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