स्वप्निल जैन जी द्वारा खूबसूरत रचना#हिन्दी की बोलियों का योगदान#

नमन बदलाव मंच राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय 
एक दिवसीय लेख प्रतियोगिता
बिषय:-हिंदी की बोलियों(उपभाषाओं)का योगदान।
दिनांक:-4/12/2020
विधा-लेख
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हिंदी की बोलीयों(उपभाषाओं) का योगदान।
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                जब बात किसी भाषा की आती है तो सर्वप्रथम यह जान लेना अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि भाषा का कार्य क्या है? तब किसी भी भाषा का कार्य, संबंधित व्यक्तियों, समूहों के मध्य अपने विचारों, तर्कों का आदान प्रदान करने हेतु कहें-लिखें जाने वाले अभिव्यक्ति के माध्यम को भाषा कहा जायेगा।
           अब इस तरह से अपनी अभिव्यक्ति को रखने हेतु, छोटे छोटे समूह या क्षेत्रों में रह रहे व्यक्तियों के मध्य बोलियों का प्रयोग किया जाता है।
            ये बोलियाँ बहुत क्षेत्रों के लोगों के मध्य बोली जाती है। जब इनका प्रयोग, साहित्य गतिविधियों में किया जाने लगता है, तब इनका स्वरूप बदलकर इन बोलियों को ही उपभाषा का नाम दिया जाता है, अब इन उपभाषाओं का क्षेत्र बोली कि अपेक्षा बृहद हो जाता है।
             ऐसी कई उपभाषाएं, किसी भाषा के अंतर्गत आती हैं, जैसे हिंदी भाषा के अंतर्गत 18 उपभाषाएं मानी गई हैं।
प्रत्येक उपभासा का अपना मुख्य अभिव्यक्ति क्षेत्र होता है जहाँ लोग उनके माध्यम से अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, 
             भाषाएं उनकी उपभाषाएं एवं बोलियाँ आपस में अभिव्यक्ति कर रहे व्यक्तियों के मध्य आपसी तालमेल, स्वतंत्र विचारों को व्यक्त करने की सरलता, साहित्य सृजन और उनके प्रचार-प्रसार में सहायक, जीवन स्तर में विकास एवं शिक्षा में सहायक एवं उन्नति को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
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स्वरचित एवं मौलिक लेखन
लेखक:-स्वप्निल जैन(छिन्दवाड़ा,मप्र)

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