कवि श्याम कुँवर भारती द्वारा रचित ओज कविता

ओज कविता- शिकार किया करते है |
पीठ पीछे से वार सदा सियार किया करते है |
हिन्द के जवान मुंह सदा हुंकार किया करते है |
नापाक दुशमनों तुम हमे क्या आजमाओगे |
सामने आओ हम शेर शिकार किया करते है |
चूपके से घुस आए हमारी सीमा बोलो तुम |
मुक्का कमर तोड़ बैरी चित्कार किया करते है |
बढ़ाकर हाथ दोस्ती पीठ पीछे खंजर वालो |
अहिंसा पुजारी हिन्द होशियार किया करते है | 
दिखा पटाखा एटम बम की धमकी न देना तुम |
चौड़ी छाती हम राफेल हथीयार लिया करते है| 
काश्मीर हमारा था और रहेगा तिरंगा फहरेगा |
पाक गैंग महबूबा तुम्हें गद्दार कहा करते है | 
खाते हो जिस थाली मे छेद उसी मे करते हो |
देशद्रोहियों का तम्बू हम उखाड़ दिया करते है |
बन रहा मंदिर भगवान सब मिल श्रीराम कहो |
जाती धर्म की राजनित धिक्कार किया करते है |
भारत मे रहना मगर भारत की नहीं सुनना है |
सवींधान बिरोधियों हम सुधार किया करते है |
देश बिरोधी बोली वालों सुन लो ध्यान लगाय |
जीभ मे राख़ लगा हम उखाड़ लिया करते है |
डालकर गिद्ध निगाह खून काश्मीर बहाया था |
कर कत्लेआम पंडितो रातो रात मार भगाया था |
भेज आतंकियों सीमा जवान सैकड़ो शहीद किया |
खाया मार सैकड़ो बार पर उसने न सीख लिया |
चढ़ आया कारगिल की चोटी बड़ी भूल किया |
चलाया हमने भी तोप दुशमन को धूल किया |
किया सर्जिकल स्ट्राइक सबको मटिया मेट किया |
चुकाया बदला सबका जवानो ने सब सेट किया |
मर मिट जाएँगे हम सिर हिन्द न झुकने देंगे |
चला जो चक्र भारत का कभी न हम रुकने देंगे |
शेरे हिन्द बीर जवान सदा ललकार किया करते है |
हिन्द के जवान मुंह सदा हुंकार किया करते है |

जय हिन्द |
श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी 
बोकारो झारखंड

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