सादर समीक्षार्थ
विषय - पंछी / परिंदा
विधा - मुक्त
हे पंछी ! तुम अद्भुत
सुन्दर हो .....।
जीवन को गति दे देते हो
आशाओं का कर संचार
नित नए सँदेशे लाते हो
प्रेरित सबको करते हो..।।
हे पंछी ! तुम प्रकाश पुंज बन
तम सबके हर लेते हो ....।
तिनका-तिनका जोड़ अपना
तुम सुन्दर नीड़ बनाते हो
परिश्रम सदा सफल होता है
सबको यही बतलाते हो..।।
हे पंछी ! तुम आनंदित करते
विषाद दूर कर देते हो...।
गीत नए नित-नित सुनाकर
मन हर्षित तुम कर जाते हो
व्यथित जनों के दुखी हृदय
में,जीने की चाह जगाते हो..।।
हे पंछी तुम घूम-घूम कर
सबको राह दिखाते हो...।
मुश्किल हो चाहे भी कितनी
हार न कभी, तुमने है मानी
जीवन के नित संघर्षों की,
सजीव हो तुम एक कहानी..।।
हे पंछी तुम साहस बन कर
उमंगों से भर देते हो...।
डॉ.राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
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