कवि डॉ.राजेश कुमार जैन द्वारा 'पंछी' विषय पर रचना

सादर समीक्षार्थ

विषय   -      पंछी / परिंदा
विधा     -      मुक्त


हे पंछी ! तुम अद्भुत
सुन्दर हो .....।

जीवन को गति दे देते हो
आशाओं का कर संचार
नित नए सँदेशे लाते हो
प्रेरित सबको करते हो..।।

हे पंछी ! तुम प्रकाश पुंज बन
तम सबके हर लेते हो ....।

तिनका-तिनका जोड़ अपना
 तुम सुन्दर नीड़ बनाते हो
परिश्रम सदा सफल होता है
सबको यही बतलाते हो..।।

हे पंछी ! तुम आनंदित करते
विषाद दूर कर देते हो...।

गीत नए नित-नित सुनाकर
मन हर्षित तुम कर जाते हो
व्यथित जनों के दुखी हृदय
में,जीने की चाह जगाते हो..।।

हे पंछी तुम घूम-घूम कर
सबको राह दिखाते हो...।

मुश्किल हो चाहे भी कितनी
हार न कभी, तुमने है मानी
जीवन के नित संघर्षों की,
सजीव हो तुम एक कहानी..।।

हे पंछी तुम साहस बन कर
उमंगों से भर देते हो...।



डॉ.राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड

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