श्रीमती गीता पाण्डेय 'अपराजिता जी द्वारा खूबसूरत रचना#भारत की शिक्षा में बढ़ती साक्षरता#

राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय "बदलाव मंच" साप्ताहिक प्रतियोगिता 

दिनांक-23/12/2020
शीर्षक-शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ती आत्मनिर्भरता 
विधा-कविता 
प्रकृति-स्वरचित मौलिक कविता
रचनाकार-गीता पाण्डेय,रायबरेली उत्तर प्रदेश
विश्व की  तमाम संस्कृतियाॅ, भारत आई।
भारत के अनेकता में भी, एकता ही पाई।
शिक्षा में दुनिया को हम दिये नया आयाम। 
जिसे दुनिया नहीं कर पाई,लाख व्यायाम।

दुनिया को हमने ही दिया,गणित का जीरो।
दुनिया  वाले  मान  गये थे,भारत को  हीरो।
नालंदा, तक्षशिला विश्वविद्यालय का था शोर।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय का नाम चारो ओर।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भी तो छाया है।
भारत वर्ष में शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांति आया है।
वेद,उपनिषद्,व्याकरण में हम रहे है सबसे आगे।
पाणिनी की अष्टाध्यायी को दुनिया वाले माॅगे।

कालीदास कृत अभिज्ञानशाकुन्तलम् की यही पुकार।
दुनिया वालों ने एक स्वर में इसको किया था स्वीकार।
विवेकानंद जी ने विश्वधर्म सम्मेलन में बजाया डंका। 
भारत को विश्व गुरु की मिली थी उपाधि निःशंका।

ज्ञान-विज्ञान कला,साहित्य में हम है सबसे भारी।
रामानुज, आर्यभट्ट, हरगोविन्द के हम है आभारी।
रक्षा अनुसंधान हो या सूचना प्रौद्योगिकी की बात।
दुनिया वालों को हम इन क्षेत्रों में भी दे रहे हैं मात।

चाॅद मंगल को फतह करने में भी वैज्ञानिक है संलग्न। 
नवीन चीजों के खोजने में अनुसंधानकर्ता हैं मग्न।
विकास के पथ पर भारत का दौड़  सतत् है जारी।
दुनिया को पीछे छोड़ेंगे,हम है कर्म के महान पूजारी।

स्वरचित व मौलिक कविता 
श्रीमती गीता पाण्डेय 'अपराजिता'
रायबरेली, उत्तर प्रदेश

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