कवयित्री आरती तिवारी सनत द्वारा 'किसान' विषय पर रचना

मंच नमन🙏

 *विषय -किसान*



किसान सबका अन्नदाता किसान...
खुद दिन-रात कठिन परिश्रम करता..
खेत जोतता हल चलाता..
समय-समय पर निराई गुड़ाई..
खाद पानी बच्चों की देखरेख करता खेतों की...
तपती दुपहरी जेठ की..
सावन भादों की घनघोर घटाएं..
झमाझम बारिश का मौसम...
पूष माघ की ठिठुरन भरी सर्दी..
भोर से लेकर शाम तक..
खेतों की देखरेख करता...
फसल पकने पर कटाई दवाई..
फिर उनको मंडी तक ले जाना...
बहुत कठिन परिश्रम करता यह किसान...
सारी दुनिया का अन्नदाता है किसान...
किसान ना हो तो किसी के पेट में रोटी ना जाए..
अन्नदाता किसान भूखे रहकर भी फसलों को तैयार करता है...
सूखा दुर्भिक्ष अतिवृष्टि अनावृष्टि शीत पाला....
इन सब विपत्तियों की मार भी प्रकृति देती है समय-समय पर...
किसान आज सबसे गरीब है...
साल भर अन्न भी नहीं होता उनके बच्चों को आज किसान आत्महत्या करने पर उतारू है...
बिटिया के विवाह के लिए  गए कर्ज अदा करते करते जीवन व्यतीत हो जाता है...
किसान की इस दुर्दशा का हम सभी जिम्मेदार...
गांव छोड़ सभी शहर पलायन किये..
सुख सुविधाओं से वंचित रह जाता है..
समय पर बुआई जुताई  नहीं हो पाती..
आदमी भी कम पड़ रहे हैं..
कहीं कहीं जमीन भी बंजर पड़ी...
एक अकेला किसान हजारों का पेट भरता है..
किसान जिसे शान से रहना चाहिए..
वह आज बहुत दीन हीन और गरीब है
अन्नदाता का मान करो..
सब मिलकर किसानों का साथ दें..
किसान के बिना अन्न पैदा नहीं होगा..
भूखमरी से प्राण चले जाएंगे...
किसान हम सभी का धरती पर भगवान है...
सभी का पालक पोषक है...
भारत का गौरव किसान...
लाल बहादुर शास्त्री का नारा..
जय जवान जय किसान...
आज इसकी जरूरत आन पड़ी है...
किसान धरती का भगवान है..!!



आरती तिवारी सनत
©® दिल्ली

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