मीनू मीनल जी द्वारा बेहतरीन रचना#मुझे माफ़ करना #

*माफ करना*
दूसरों को पढ़ते-पढ़ते अपनी भूल जाती हूंँ।
माफ करना मेरे मित्रों इसलिए कम आती हूंँ ।।

सुनती हूंँ कविता आत्मा की आत्मा आवाज होती है।
मैंने भी महसूस किया सच्ची बात होती है।।

कुछ अच्छी बातें अवश्य ही मिल जाया करती हैं ।
पर  सभी से मिलूँ तो अपनी छूट जाया करती हैं।।


कभी कोई कविता प्रेरित करती है जरूर ।
लेकिन उसे  ही अपना कर  होना नहीं मशहूर।।

सूने पलों में कोशिश करती हूंँ सुनूँ अपने को।
क्या कहती रहती मेरी आत्मा मुझे करने को।।


इसलिए माफ करना मुझे, कम आती रहती हूंँ।
पर सभी को मैं अपने दिल में समाए रहती हूंँ।।

स्वरचित और मौलिक
*मीनू मीनल*

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