जब से तुमने ख्वाबों में आना छोड़ दिया
जब से तुमने ख्वाबों में आना छोड़ दिया
जब से हमने जानम मुस्कराना छोड़ दिया ॥
ख्वाबों में आती थी , बहुत सताती थी
आंखों ही आंखों में डूब सनम जाती थी
मैं तुम्हें निहारता , तुम मुझे संवारती थी
बातों ही बातों में , सुबह होजाती थी ।
जब से तुमने ख्वाबों में आना छोड़ दिया
तब हमने प्यार के गीत गाना छोड़ दिया ॥
छत पर नजर आती थी, बालो कॊ सुखाती थी
झटके दे दे बालो कॊ, मन कॊ बहुत लुभाती थी
जब से तुमने छत पर वो आना छोड़ दिया
छुप छुप कर देखना आहें भरना छोड़ दिया ।
जब से तुमने खिड़की पे आना छोड़ दिया
हमने सनम तेरी गली में जाना छोड़ दिया ॥
निर्दोष लक्ष्य जैन
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