कवि चंद्रप्रकाश गुप्त "चंद्र" द्वारा 'मानव अधिकार' विषय पर रचना

बदलाव राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय मंच के लिए -
आज का विषय - मानव अधिकार दिवस

शीर्षक -  *मानव अधिकार*

यों तो जीवन जब से साकार हुआ

आगाज अधिकारों - संघर्षों का साकार हुआ

दस दिसम्बर उन्नीस सौ अडतालीस इसका विश्व विधान तैयार हुआ

भारत में अठ्ठाइस सितंबर उन्नीस सौ तिरानबे को कानून तैयार हुआ

बारह अक्टूबर उन्नीस सौ तिरानबे मानवाधिकार आयोग का गठन हुआ

 अखिल विश्व के सब धर्म,  जाति बराबर हों ,मानक यह तैयार हुआ

सभी सुरक्षित भेदभाव रहित हों, जीवन जीने का सपना साकार हुआ

सब को स्वास्थ, अर्थ, सामाजिक समानता,शिक्षा का लाभ मिले तय यह आधार हुआ

शोषण - शोषित का द्वंद हटा अब दुनियां का मानव है मुक्त सांसों से सजा हुआ

शोषण करने बालों अब संभल जाओ!अब है बाजा तुम्हारा बजा हुआ

रंग,जाति, धर्म का भेद हटा ,जग के उपवन में सुंदर सुमन खिले

मानव सभी समान हैं सबको समान अधिकार मिले

आओ मिलकर सब मानवाधिकार दिवस मनायें

मानव हैं हम मानव को प्यार, संग - साथ दे मानव धर्म निभायें

यों तो जीवन जब से साकार हुआ

आगाज संघर्षों - अधिकारों का साकार हुआ

       चंद्रप्रकाश गुप्त "चंद्र"
      अहमदाबाद  , गुजरात
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मैं चंद्र प्रकाश गुप्त चंद्र अहमदाबाद गुजरात घोषणा करता हूं कि उपरोक्त रचना मेरी स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित है।
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