*स्वरचित रचना*
*आत्मनिर्भर भारत*
भारत मेरा महान बनेगा।
कदमों में इसके जहान होगा।।
कैसा रहेगा सोचो ये मुल्क।
जिस दिन केवल इंसान होगा।।
अपना क्या और पराया क्या।
मुल्क के लिये जिने में जाया क्या।।
आत्मनिर्भर वास्तव में परवान चढ़ेगा।
जिस दिन चहो ओर इंसान होगा।।
स्वयं खर्च करेंगे स्वयं उपजाएँगे।
अपने ही राष्ट्र को स्वर्ग बनाएंगे।।
उस दिन गर्व से हिंदुस्तान कहेगा।
आत्मनिर्भरता से मुल्क महान बनेगा।।
जिस दिन चारों ओर सफाई होगा।
लोगों को आपसी सहयोग से कमाई होगा।।
जब कर्म से बच्चा बच्चा महान बनेगा।
उस दिन भारत आत्मनिर्भर की मुकाम चढ़ेगा।।
सभी को पूरा पूरा जब काम मिलेगा।
जब सभी को आगे का ईमान जगेगा।।
जब कभी ना सड़क पर जाम लगेगा।
उस दिन सच मेरा भारत महान बनेगा।।
जब अमीर गररीब का होगा बन्धन नही।
जब किसान का मोल लगे हाथो बिकेगा।
सभी का आगे बढ़ने को योगदान होगा।
आत्मनिर्भर बनने सपना महान बनेगा।।
*प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन*
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