बाबूराम सिंह कवि जी#बदलाव मंच#

पर्यावरण , कुण्डलियां
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पौधारोपण कीजिए , सब  मिल हो  तैयार।
परदूषित   पर्यावरण,  होगा   तभी सुधार।
होगा  तभी सुधार सुखी  जन जीवन  होगा।
सुखमय  हो  संसार , प्यार संजीवन  होगा  
कहँ बाबू कविराय ,सरस  ऊगे तरु कोपण ।
यथाशिध्र जुट जायँ , करो सब पौधारोपण।

गंगा ,यमुना ,सरस्वती ,साफ  रखे हर  हाल।
इनकी महिमाकी कहीं,जग में नहीं मिसाल।
जगमेंनहीं मिसाल,ख्याल जन जनहीरखना।
निर्मल रखो सदैव ,सु-फल सेवा का चखना।
कहँ   बाबू   कविराय  ,बिना  सेवा नर  नंगा।
करती  भव  से  पार ,सदा  हीं सबको  गंगा।

जग जीवन का है सदा ,सत्य स्वच्छता सार।
है अनुपम  धन-अन्न  का, सेवा दान अधार।
सेवा दान अधार ,अजब  गुणकारी जग  में,
वाणी बुध्दी विचार,शुध्द कर जीवन मग में।
कहँ बाबू कविराय ,सुपथ पर हो मानव लग,
निर्मल हो जलवायु ,लगेगा अपना ही  जग।

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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज(बिहार)८४१५०८

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