राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय 'बदलाव मंच' साप्ताहिक काव्य /काव्य गद्य प्रतियोगिता
दिनांक-29 दिसम्बर,2020 से 5 जनवरी तक,2021
माना की जीवन सरल नही,
लेकिन वह मानव ही क्या ?
जिसमें संघर्ष करने का दम नहीं,
पत्थर में फूल खिलाने का कर्म,
करना है, लेती हूँ इस साल मैं कसम ।
ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना है मनुष्य,
वह मनुष्य, मनुष्य कहलाने का हक़ रखता नही,
जो संघर्षो पर विजय प्राप्त करता नही।
एक दिन सोचा यदि जीवन में संघर्ष नही,
तो जीवन जीने का मजा नही।
यदि मैंने कुछ असाधारण किया नहीं,
तो मैने मानव जीवन जिया नही,
यदि सबकुछ हो जाए आसान,
तो बोरियत ले लेगी अपना स्थान ,
मेरा जीना-मरना हो जाएगा निष्काम।
मैं भी अन्य जीवो की तरह हो जाउंगी गुमनाम
शायद इसलिए ही जीवन में डालकर संघर्ष,
दिया मुझे मौका खुद को साबित करने का
मैं इतनी कायर भी नही कि जीवन को व्यर्थ जाने दूँ,
इसलिए इस साल है मुझे कुछ कर दिखाना,
और जीवन की हर चुनौती को है स्वीकारना – डॉ. अनिता पाण्डेय – ०४/१२-२०२०
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