डॉ. राजेश कुमार जैन जी द्वारा अद्वितीय रचना#तुम बिन नूतन वर्ष अधूरा ।#

सादर समीक्षार्थ
 दिनाँक  -  04. 01 . 2021
 विषय - तुम बिन नूतन वर्ष अधूरा ।



तुम बिन नूतन वर्ष अधूरा
 मन न लगता कहीं भी मेरा
तुम बिन हर दिन है अंधेरा
कोई न लगता मुझे मेरा...
।। 
 तुम बिन नूतन वर्ष अधूरा
 जीवन बन गया बोझ मेरा
 दिन रात तुम हो याद आती
 हौले से आ तुम मुस्काती ..।।

तुम बिन नूतन वर्ष अधूरा
 रूठ गया जैसे हो सवेरा
तुम्हारी  यादों  ने  घेरा 
जीने न देती हैं अकेला..।।

 तुम बिन नूतन वर्ष अधूरा
 जैसे भोर का टूटा सपना
 जैसे पथ भटका हो तारा
माली बिन सुनसान गुलिस्तां..।।

 तुम बिन नूतन वर्ष अधूरा ।
तुम बिन नूतन वर्ष अधूरा।।




 डॉ. राजेश कुमार जैन
 श्रीनगर गढ़वाल
 उत्तराखंड

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ