गीता पांडे अपराजिता रायबरेली जी द्वारा अद्वितीय रचना#

शीर्षक :-नव वर्ष आया नव उमंग लाया
××××××××××××××××××
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
 आया आकर चला गया,
दो हजार सन बीस ।
दुख ज्यादा सुख कम दिया,
बची शेष है टीस ।
धर्म,कर्म का मर्म ही ,
दे सकता सुख-शान्ति -
स्वागत है इक्कीस का,
कृपा करें  जगदीश ।
 
पल पल जीवन मंगलमय हो,
नव विकास का सूर्य उदय हो।
सुख समृद्धि यश मान प्रतिष्ठा,
घृणा रहित नित स्नेह निलय हो।

 मंगलमय हो भोर सुहानी,
यश कीर्ति पथ बढ़े जवानी।
नव विकास की पावन वेला,
उठो , लिखें हम नई कहानी।

नव वर्ष आया नव उमंग लाया,
खुशियों का सूरज फिर मुसकाया।
अपनों के सपनों की खातिर ,
हर उर हुलास भर आया ।

गीता पांडे अपराजिता रायबरेली उत्तर प्रदेश

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ