कविता

जिंदगी में.... यह साल

यह साल ,
बहुत ख़ास रहा |
जिंदगी की कड़वी  यादों में |
मीठी बातों का भी  स्वाद  रहा |

यह साल बहुत ख़ास  रहा |
किन भरमों में जी रहे थे।
आज तक .........?

उनसे  जब  ,
आमना -सामना  हुआ|

क्या  कहूं ..........!
जिंदगी में, इस  साल |
तुज़र्बों का एक काफ़िला  -सा  रहा |

कुछ  के चेहरे से नकली नकाब उतरे,
कुछ को छोड़कर,
हर चेहरा दागदार रहा।।
 कुदरत ने हर चेहरे पर मास्क लगाकर,
 चेहरे की अहमियत का वो  सबक दिया।

यह  साल बहुत ख़ास रहा |

जहां कुछ जिंदगी की हकीकतें समझ गए।
 किस दौड़ में जी रहे थे.....
 बंद घरों में करके कैद में रख दिए।
 
वहीं कुछ चेहरे दिल में सिमट गए।
 जिंदगी बंद करती है एक दरवाजा,
तो कहीं कई  दरवाजे खुल गए।
हर उस प्रेरणा  का
शुक्रिया ........
जिस ने जिंदा होने का,
अहसास दिला दिया।

 जिंदगी की अहमियत का,
इस साल ने वो  सबक दिया।
 जो समझेंगे..... सालों को जी जाएंगे।
वरना हर साल में...  बस
सालों के कैलेंडर ही बदलते रह जाएंगे।

 यह साल बहुत खास रहा।
मैं  हारता हुआ भी हर बाज़ी मार गया |

जिंदगी  का हर  दिन अच्छा या  बुरा,
हर अनुभव  बहुत ही ख़ास रहा |

नये साल  को सींचूगा 
इन अहसासों से |

जिंदगी  को  जीने के, वे-मिसाल उमदा,
इन  तरीको से | 
यह  साल बहुत ही ख़ास रहा |
 जिंदगी की हकीकतों  को दिखाता बेमिसाल आईना रहा।

 स्वरचित रचना
 प्रीति शर्मा" असीम"
  नालागढ़ हिमाचल -पंजाब


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