पावन बदलाव मंच को सादर-
======नमन==========
साप्ताहिक काव्य प्रतियोगित
दि0-29 दि0 से-05 जन0 21
विषय - नया साल नए संकल्प
=====विधा - कविता=====
प्रे0 ता0 -31/12/20 ,गुरुवार
=======शीर्षक========
नव वर्ष लाये सदा बाहार
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नव संकल्प ले हम एक बने,
छोड़ बुराई नेक बने।
,जन -जन अपना करे सुधार,
नव वर्ष लाये सदा बाहार।
दहेज दानवका नाम मिटायें,
जलती बहु-बेटी को बचायें।
जागरुक हो जतन करें हम ,
निज डो़ली नहीं लुटे कहार।
नव वर्ष लाये सदा बाहार।
सब कोई सोचे समझे गुने,
भ्रष्ट नेता कदापि ना चुनें।
भ्रष्ट नेताओं के कारण ही,
देश में बढ़ता पापाचार।
नव वर्ष लाये सदा बाहार।
सत्य धर्म से ना मुंह मोडे़,
जात -पात का झगडा़ छोडे़।
खुशी से हक देवें सबका हम,
जहाँ जिसका बनताअधिकार।
नव वर्ष लाये सदा बाहार।
फँसे न निज पद स्वार्थ क्रोध में,
लगें सतत् शुभ सत्य शोध में।
भारत की संस्कृति सभ्यता,
पावनतम कहता संसार।
नव वर्ष लाये सदा बाहार।
कल पर कोई बात ना टाले,
गद्दारों को खोज निकाले।
दृढ़ देश का प्रावधान हो ,
धोखा नही खाये सरकार।
नव वर्ष लाये सदा बाहार।
जियें मरे हम राष्टृ धर्म में ,
मानव धर्म शुभ सत्य कर्म में।
यही भाव हो जनमानस में ,
सादा जीवन उच्च विचार।
नव वर्ष लाये सदा बाहार।
अनुपम कवि लेखक पत्रकार
, सकल हिन्दी सेवी संसार।
हिन्दि में हर कार्य करे हम,
मातृ भाषा का हो प्रचार ।
नव वर्ष लाये सदा बाहार।
साक्षरता अभियान चलायें ,
गोबध बिल्कुल बन्द करायें।
पाल पोष कर गौ माता को ,
स्वर्ग वसुधा पर करें साकार।
नव वर्ष लाये सदा बाहार।
विष पीकर भी मुस्करायें ,
सेवा में शुभ कदम बढा़यें।
पर पीडा़ हर करे भलाई ,
"बाबू राम कवि " हो तैयार ।
नव वर्ष लाये सदा बाहार।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज(बिहार)
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मै बाबूराम सिंह यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है ।
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