शीर्षक - नववर्ष
यों ही नित नव वर्ष आये , प्रेम सुखद अनुराग छाये
यह घुटन घुटन सा वक्त जाये , हर पल नित नूतन हर्ष लाये
चुपके से मौसम विपदाओं का जाये , नव सृजन का श्रंगार लाये
मन हदय में बादल खुशियों के छाये ,जीवन कंटक से मुक्ति पाये
सूरज थोड़ी सी तपन लाये , कमल हृदय का खिलाये
नव चेतना नव जागरण लाये , उमंग की तरंग से मन विभोर हो जाये
स्वस्थ रहें सब व्याधियां जायें , विषाणु करोना जगत से जाये
प्रकृति सृष्टि सुधा रस वर्षाये , मानवता का संत्रास दूर हो जाये
नये वर्ष में नयी पहल कर , कठिन जिंदगी सरल बनायें
समय हमारे साथ चले , हम काल को अपना दास वनायें
हम कुछ ऐसा कर पायें , जीवन पल-पल सुखद वनायें
गीत गौरव वैभव के गायें , आत्मनिर्भर बनें स्वयं - और देश वनायें
यों ही नित नव वर्ष आये , प्रेम सुखद अनुराग छाये
यह घुटन घुटन सा वक्त जाये , हर पल नित नूतन वर्ष लाये
चंद्रप्रकाश गुप्त "चंद्र"
अहमदाबाद , गुजरात
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