एस्तोमर की क़लम जी द्वारा अद्वितीय रचना#अच्छी यादे#

राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय 'बदलाव मंच' साप्ताहिक प्रतियोगिता
दिनांक:- 29/12/20 - 05/01/21
विषय :- 2020 अच्छी यादें(विधा-संस्मरण)
 विधा :-  कविता
मेरा गांँव.......

जहा आज भी सूरज, सबसे पहले आता हैं
चंदा जहा आज भी, पूरी रात रुख जाता हैं
ओर तारों की तो वह, चादर बिछी हैं
पूरा सोर्य मंडल, जहा फूल बरसाता हैं
बादलों का तो जैसे, आना जाना रहता हैं
बिन गरजे ही, बरस जाना रहता हैं
बिजली जहा आज भी, कटार सी लगती हैं
संस्कारों के प्रति आज भी, जहा सत्ती हैं
जहा आज भी चंदा को, मामा समझा जाता हैं
जहा सावन आज भी, घनघोर घटा ले आता हैं
परियों की दुनिया का, जहा आज भी बसेरा हैं
वो दादी नानी की कहानियों का, जहा आज भी मेला है
जहा नदी की धारा आज भी, जमुंघटे बेहती हैं
मेरे सारे बचपन की, जहा यादे बसी रहती हैं
आज भी जहा सब, आम इमली नीम के नीचे सोते है
आज भी जहा संध्या में, रोज भजन कीर्तन होते है
आज भी जहा संध्या आरती, घड़ियालों संग होती है
आज भी जहा आच्चाई हस्ती, और बुराई रोती है
आज भी जहा गाय माता, ओर बछिया गोनी होती है
आज भी जहा लोग बड़ के नीचे, मंद्दारागे सोते है
राम राज्य सा राज्य जहा पर, शान्ति सुख समृद्धि है
लोग जहा के मंहगे नाही, हृदय भाव से सस्ते हैं
मीरा हृदय ओर मेरी आत्मा, मेरे गांव में बसते हैं
मेरे गांव में बसते हैं.... हिकमी (राजगढ़) म. प्र......

एस्तोमर की क़लम (अभिषेक सिंह तोमर)
नरसिंहगढ़, म. प्र.

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