स्वरचित रचना
सायली छंद
रुका
हुआ पानी।
अधूरी कहानी
किसी काम
का नही।
हौसला
रख मन्जिल
दूर है चलना
ना छोड़
समझा।
खुले
आसमान में
उड़ना है यदि
लड़ना पड़ेगा
समझा।
सागर
पर भी
कर्ज नदियों का।
आजाद कौन
है।
मौहब्बत
जिन्दगी के
लिए है भाई।
जिन्दगी मौहब्बत
नही।
जान
देनी है
देश के लिए दे
याद रखेगा
जहान।
व्यकि
समझदार हैं
जबतक शिकायत नही
जिन्दगी से।
प्रकाश कुमार मधुबनी'चंदन'
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