बदलाव मंच द्वारा अखिल भारतीय हास्य हुड़दंग का आयोजन*

*बदलाव मंच द्वारा अखिल भारतीय हास्य हुड़दंग का आयोजन*
अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय बदलाव मंच के पटल पर होली के अवसर पर धुलण्डी की रात्रि 8 बजे  से  2 बजे रात्रि तक अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से 30 साहित्यकारों ने भाग लिया। बदलाव मंच के संस्थापक दीपक क्रांति ने हास्य कवि सम्मेलन का सफल मंच संचालन किया.. अंतरराष्ट्रीय संचालक दीपक क्रांति ने कई गीतों को पैरोडी गीत स्टैंडअप कॉमेडी से लोगों को हंसाया तथा लालू यादव, नाना पाटेकर, सुनील शेट्टी,अक्षय कुमार,कई गायकों समेत अनेक फ़िल्मी हस्तियों  की आवाज़ में मिमिक्री कर शमा बांध दिया..   बदलाव मंच की राष्ट्रीय अध्यक्षा रूपा व्यास ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा "मैं तेरे नाम हो जाऊं "मधुर गीत मुक्तक गाकर मन मोह लिया ।जबकि प्रकाश मधुबनी चन्दन ने व्यवस्थापन सह सञ्चालन में बेजोड़ साथ दिया..  हरियाणा के जिला रेवाड़ी के गाँव खालेटा के साहित्यकार भूपसिंह भारती ने अपनी हरयाणवी बोल्ली में होली पर हास्य कुण्डलिया "जीजा साली तै करै, खेलन की मनुहार" और "होली म्ह इब राखना, आपस म्ह डिस्टेंस"  सुनाई और एक स्वरचित होली गीत "होली में अब की बार मार ना पिचकारी। कोरोना करता वार, सुणो सभ नरनारी" सुनाकर कोरोना से बचकर होली मनाने का संदेश भी दिया। प्रकाश कुमार मधुबनी 'चन्दन' ने जोगी रा सा रा रा सुनाकर खूब मनोरंजन किया। उदयपुर से दीपा पन्त 'शीतल' ने अपनी रचना "एक हिंदी प्रेमी नेता पर होली का खुमार छाया" रचना सुनाई। इंदौर से डॉ रेखा मण्डलोई गंगा ने अपनी रचना "प्यार में पंगा" शीर्षक रचना सुनाई। दिल्ली से नेहा जग्गी ने "ऑन लाइन कक्षाएं"  शीर्षक रचना से नेटवर्क प्रॉब्लम को दर्शाया। महाराष्ट्र से जयप्रकाश नागला ने अपनी रचना "चलती के साथ ही चलते आजकल सब है, अब गब्बर नहीं पूंछेगा होली कब है" रचना सुनाई। जबलपुर से विशाल चतुर्वेदी 'उमेश' ने अपनी रचना "देखो सखी फागुन ऋतु आई" सुनाई। उदयपुर से निर्मल जैन नीर ने "होली के रंग" हाइकू सुनाए। दिल्ली से स्नेहलता पांडेय ने भी जोगी रा सा रा रा से सबक मनोरंजन किया। दिल्ली से चंचल वशिष्ठ ने "हाथों में लिया अबीर गुलाल, मंजू को रंग डाले लाल। समझ न पाया क्या जादू, बीवी कैसे हुई पीली लाल" रचना पढ़कर सुनाई। रायबरेली से गीता पांडेय ने अपनी रचना "ब्रज में होली खेले है कन्हाई, ग्वाल बाल मिल धूम मचाई" पटल पर प्रस्तुत की। मध्यप्रदेश से चन्दा देवी स्वर्णकार ने अपनी रचना "भौजी दे दो भगुवा हमार, हम होरी खेलन आये है" रचना गाकर सुनाई। महोबा से सुभाष चौरसिया ने अपनी रचना "शादी करके करली भैया हमने अपने हाथों अपनी बर्बादी" रचना पढ़कर सुनाई। दिल्ली से आरती तिवारी ने अपनी रचना "होली में बरसे रंग प्यारे के"  पटल पर पढ़ी। ग्वालियर से डॉ दीप्ति गौड़ 'दीप' ने अपनी रचना "होली खेले राधिका, धूम मचे चहु ओर" पढ़कर सुनाई। बिहार से रितु प्रज्ञा ने अपनी रचना बेरहम कोरोना पढ़कर सुनाई। बदलाव मंच की राष्ट्रीय अध्यक्षा रूपा व्यास ने कवि सम्मेलन के अंत में अपने अध्यक्षीय सन्देश में  "जीवन मे खुशियों के संग, हो द्वेषमुक्त जीवन के रंग"  कहकर सभी साहित्यकारों का कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये आभार व्यक्त किया। राजस्थान से संजय कुमार मीणा, दिल्ली से नगेन्द्र बाला, डॉ सत्यम भास्कर, राजस्थान से जुगलकिशोर पुरोहित व  स्वाति सरु जसलमेरिया, वाराणसी से मिथलेश कुमार सिंह, गुजरात से सुथार सुनील 'कमल', रीमा ठाकुर, आभा चौहान, गुजरात से आत्मप्रकाश कुमार, बिहार से मनु रमण, राखी ठाकुर आदि रचनाकारों ने रात दो बजे  बजे तक चले कवि सम्मेलन में अपनी रचनाओं से शमा बांध दिया जबकि गीता पांडेय, सुनील दत्त मिश्रा, एल एस तोमर आदि, रूपक क्रांति व ओम प्रकाश ओम स्नेहलता,  आदि ने भी एक से बढ़कर एक रचनाओं के साथ हौसला अफ़ज़ाई किया.. यह जानकारी बदलाव मंच के अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्रभारी भूप सिंह भारती तथा राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेन्द्र पयासी ने दी..

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ