सादर समीक्षार्थ
विषय - होली
विधा - कविता
रंग लगाओ हुडदंग मचाओ
मन हरती कोई बात सुनाओ
गिले-शिकवे सब दूर हटाओ
खेलो- कूदो सबको मनाओ..।।
झूम के तुम भी नाचो गाओ- होली है..।।
नफरत की हर दीवार हटाओ
खुशियों की एक सौगात लाओ
प्रगाढ़ सभी संबंध बनाओ
मन की व्यथाएँ सब दूर हटाओ..।।
झूम के तुम भी नाचो गाओ- होली है ..।।
अहंकार को सब दूर हटाओ
सभी को प्रेम से गले लगाओ
प्यार के रंगों में डूब जाओ
खुशियों से सबके दामन सजाओ..।।
तुम भी झूम के नाचो गाओ- होली है ..।।
सबके ही रंग- गुलाल लगाओ
हर माथे चंदन टीका लगाओ
आज तो हरफनमौला बन जाओ
चिंताएं सारी ही भूल जाओ..।।
तुमभी झूम के नाचो गाओ- होली है ..।।
डॉ. राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
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