कवयित्री नैन्सी गुप्ता जी द्वारा विषय- ए सिपहिया कैसी रहती होली#

ए-सिपहिया कैसी रहती तेरी होली,
सुना है खेलता है जब तू ,
बंद हो जाती सबकी बोली ।
देशभक्ति के रंग में डूबकर,
खेलता है जब तू खून की होली।।

तेरी सुहागन बाट को निहारा करती,
तेरी माँ तेरे लाल का सहारा करती।
तेरा बूढ़ा बाप शान से सबको रंग-गुलाल मलता फिरता,
बस एकाकी में उसकी नजरें तुझपे पहरा डारा करती।।
हरदम कहता है मनाऊंगा तेरे संग अगली होली,
ए-सिपहिया.................
बर्फ की थपेड़ों में तू खुद को माँ की ममता से ढाक लेता,
तू दुश्मनों को दूर से ही भाप लेता ,
मार भगा देता जब उनको,
तब जाकर तू सास लेता।।
शहीद होता तू ऐसे जैसे हो जश्न-ए-होली।।
ए-सिपहिया..................

*नैन्सी की कलम*
*कवयित्री नैन्सी गुप्ता*
*सफीपुर(उन्नाव),उत्तर प्रदेश*
*सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।_*

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ