प्रकाश कुमार मधुबनी'चंदन' जी द्वारा गाँव की होली पर खूबसूरत रचना#

*स्वरचित रचना*
*गाँव और शहर की होली*

गाँव में होती हँस की ठिठोली।
शहर में द्वेष दिखावटी होली।

गाँव में प्राकृतिक रंगों का संचार।
शहर में होता भावना का व्यापार।

गाँव में भौजी देवर का हुरदंग।
शहर में आतातायीयों का दबंग।

गाँव में कच्चे घरों में खुश इंसान।
शहर में टूटा दिल व पक्का मकान।

गाँव में लेते बुजुर्गों से आशीर्वाद।
शहर में छोटी छोटी बात पर विवाद।

फीका है जिसके आगे चंदन रोली।
ऐसी है होती मेरी गाँव वाली होली।

गाँव में पुआ और गुजिया की भरमार।
शहर में तो बियर शराब की बयार।

गाँव में निकले शिव पार्वती की डोली।
ऐसी होती बेहतर शहर से गाँव की होली।

*प्रकाश कुमार मधुबनी'चंदन'*

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