ममता वैरागी जी द्वारा आलेख#क्यों दूसरो की जागीर तो नही छिनी आपने#

क्या दूसरो की जागीर तो नही छिनी आपने।
आलेख।
आजकल धन का लोभ लालसा का भाव इतना गहरा दिलो दिमाग पर बैठा रहता है कि हम किस तरह क्या कर रहे है.,समझ नही पाते और कभी कभी जिंदगी को ऐश से जीने की ललक हमे उस अपराध लोक की और ले जाती  है जहां से निकलना फिर संभव नही होता और हम एक प्रकार के दलदल मे फसंते जाते है, यह नही सोचते कि बुरी कमाई, बुरे धंधे हमारे मन मस्तिष्क मे इतना कीचड भर देते है कि हमे लगता है हमारे पास सबकुछ है मैने इतना कमा लिया लेकिन आपने जो किसी से छल किया, कपट किया या धोखा देकर यह जो संम्पति कमाई है ,उसका हिसाब ऊपर वाले के घर है ,देर हे पर अंधेर नही वहाँ जज ईमानदारी से न्याय करते है और वह भी बिना किसी की वकालत किए ,सुने बिना ,वहाँ तो फाइल ग ई पढा और निर्णय दिया वहां धन, और आदमी नही बिकते ना साथ परिवार या इंसानो का बखेडा बिछा होता है, अभी बहुत से लोग काली कमाई मे लगे है और मस्त बेटो को भी सीखा देते भूल जाते है कि हमे नही मिला था यह हमने किसी की जिंदा लाश पर चढकर ऊसे धोखा देकर हडपा है अपनी दबंगता और चतुराई चालाकि से और यही पर ऐसा नर्क लिखा है कि तुम सुनोगे तो दिल दहल जाएगां हर गुनाह माफी लायक और पुण्य से कम हो जाता है पर किसी को धोखा देकर उससे प्राप्त संम्पति को.बनाने वाले को ईश्वर धोखा ही देता है ,वह खूद धोखे का शिकार होता जाता है सात जन्म बिगाड लेता है, ज्ञानी, ध्यानी की बाते नही मानते मत मानो ,तुम खूद ही विचार कर लो, कि किसी का धोखे से छिना गया धन या मकान या दुकान या कोई जमीन ,तुम्हारे लिए काल बन जाती है जब छिनते हो बडा मजा आता है, और रातो रात धनवान भी बन जाते हो पर उस परमपिता की नजरो मे उसी शकुनी की भांति ,दूर्योधन की भांति बन जाते हो और वह तुम्हारे पुरे कूल को खत्म कर देता है हमने सुना था पढा है देखा है कि कही कही बहुत धन होता है पर बेटे बिगड जाते है, अकेले बेटे है पर मर जाते है या बच्चे ही नही होते ,या कोई ऐसी बीमारी मिलती हैजिसमे रूपये तो जाते ही है हमारे शरीर मे बार बार दर्द रहता कहाडते  ही रहते है ,कहते सुने जाते है चार पांच आपरेशन हो गये, पर दर्द नही जाता लाखो खर्च कर दिये पर बेटा नही बचा अब इतना धन है पर कोई खाने वाला नही परिवार मे बेटियां ही बेटिया दी ग ई ऐक बेटा ना मिला यह सब दंड उस ऊपर वाले ने दे रखा है कहा कि तू धन का लोभी है धन ही खा और रो परिवार नही ,बच्चे नही और उसकी लाखो करोडो की संम्पति कोई अन्य को मिलती है यह सब क्यो इतना कमाया पर जिंदगी मे शांति नही मिल पाई या भूत प्रेत बनकर भटकते रहो या बडे बडे किलो मे बडे बडे जहरीले जानवर बन कर पडे रहो यह हे दूसरो को लुटकर या किसी की संम्पतियो को.हडपकर खूद के लिए महल बनाने के नतीजे, अरे पैसा ही सबकुछ नही होता भले दो रोटी मिले पर यदी संतोष  मिल गया तो उतम जीवन और यदि वह नही मिला और हडपनीति अपनाई तो समझो वही अंग्रेजों की औलादे बन गये आप जिन्होने लुट लुटकर दो सो वर्षो तक  भारत पर राज्य किया यहां का सोना चांदी तो ले ही गये अपने वेदो तक को चुरा लिया ,बडे वैज्ञानिक बन गये यह भूल गये कि ये भारतीय वेदो मे लिखे लेखो और पुराणो की बाते.है जो तुमने प्रैक्टिकल करके यह सब चीजे बनाई पर वह नही जान पाए जो जानना था ,और वह थे मंत्र किस तरह बोलने पर वर्षा का होना, और किस तरह किसी को बांध लेना किस तरह स्वयं उडकर चले जाना या दिखाई नही देना यह सब बाते तुम नही समझ सके बस कुछ लोग शैतान जरूर बन गये कि मारकाट मे ही उन्होने अपने जीवन को बिगाड लिया ,जांगीरो को प्राप्त करने एक राजा दूसरे राजाओ को मात देता था ना राजमहल मे रह पाता था ना सुख भोग पाता ना परिवार संग जिंदगी बीता पाता वह तो चलो युद्ध करने और कितने ही लोग या स्वयं वह भी मर जाते और महल सुने रह गये, क्या वे धन और कुछ पुण्य कमा पाये नही वह तो कही भी बे मौत ही मरे और दूसरो ने राज किया उनकी सब सम्पति चली ग ई, तो हमे यह सोचना होगा जो.हमारें नसीब.मे है बस उसे ही ले किसी बनी बनाई जगहोको ना लुटे कि हमने हथिया ली ,और शानदार जीवन बना लिया नही बनाया शानदार जीवन भुगतना होगा और वह भी गजब का दंड देगा अतः संभलो और गलत तरीको से रूपये मत कमाओ किसी की दौलत मकान गाडी दुकान मत लुटो वरना बहुत पछताओगे।
ममता वैरागी तिरला धार

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