पहेली (घटना चक्र) वैसे तो मुझे चुडैल भूतप्रेतो पर भरोसा नहीं है ! लेकिन मेरा ये मानना है अगर अच्छी शक्तिया हैं. तो बुरी भी है . ये कहानी कल्पनिक है ,इसे मौलिक बनाने का मेंने प्रयास किया है !इस घटना क्रम को किसी साथ न जोडा जाय ✍️
🙏बरिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी ।गाडी अल्मोडा की सडको पर दौडी चली जा रही थी. शाम होने आ गई थी .गंतव्य पर पहुचने का रास्ता अभी बीस मिनट का था ,वैसे भी पहडियो पर अंधेरा जल्दी हो जाता है !बारिश की वजह से मौसम बहुत अच्छा हो गया था ! हर तरफ हरियाली ही हरियाली बिखरी थी ,पर जतिन को अन्धेरा होने से पहले होटल पहुंचने की जल्दी थी ,अबादी पास होने के कारण इक्का दुक्का लोग नजर आने लगे थे , बरिश की वजह से धुँधलका फैला हुआ था ! बहुत दूर का साफ नजर नही आ रहा था, अचानक जतिन की गाड़ी से कुछ टकराया .गाडी चरमरा कर कुछ दूर जाकर रुक गई .गाडी से जतिन नीचे उतर कर आ गया .पर वहाँ कुछ न दिखा जल्दी की वजह से गाडी में वापस आ गया ,वो रास्ते का तिराहा था उसने गाडी आगे बढा दी . पांच मिनट में वो होटल पहुंच गया होटल बंद था !उसने आस पास देखा होटल से, सटी एक छोटी दुकान थी .जतिन उस दुकान वाले के पास चला गया यही होटल उसने बुक किया था ,अब रात में कहा जायेगा दुकान वाले ने उसे परेशान देखकर बोला होटल के मलिक की डेथ हो गई ,हैं मै आपकी कुछ मदद करता हूँ ,जी आपका बहुत धन्यवाद ,जतिन बोला दुकान वाले ने एक लडके को आवाज दी वो लडका दौडता हुआ आया. जी साहब,, इन साहब को काटेज वाला रूम दिखा दो उसने हा मे सिर हिलाया ,वो आगे आगे जतिन पीछे पीछे कुछ ही कदम की दूरी पर वो काटेज था, इस होटल में वो कई बार आया पर उसे ये काटेज कभी नजर न आया ,उसने लडके से पूछा ,तो वो बस इतना बोला साहब नया होटल बन जाने की वजह से ये उपेक्षा का शिकार हो गया है !
जतिन ने सिढियो पैर रखा अचानक उसके दिमाग मे कुछ कौधा उसे .याद आया वो यहा पहले आ चुका है , चार सिढिया चढकर वो दलान में आ गया !काटेज में काफी भीड़ थी !सिढिया चढकर तीसरी मजिल के एक कमरे के दरवाजे पर आ गये , उस लडके ने दरवाजा खोलकर बैग अन्दर रख दिया ,जतिन को चाभी थमाते हुऐ बोला साहब कुछ काम हो तो इस नम्बर पर फोन कर लेना, उस लडके को जरुरी सामान की लिस्ट पकडाते हुए जतिन बोला जब सुबह आना तो ये सामान लेते आना ,और कोई साफ सफाई वाले को भी ले आना जी साहब बोलते हुए लडका चला गया !
रात गहरी होने लगी उसे रागिनी की याद आने लगी उसने मोबाइल उठाया पर नेटवर्क न होने के कारण वापस रख दिया !उसे चाय की तलब होने लगी ,वो विन्डो के पास चला गया बाहर अंधेरा होने की वजह से कुछ दिखाई न दिया इक्का दुक्का लाईटे कही दूर नजर आ रही थी !उसे याद आया उसके बैग में वाइन पडी है चलो कुछ तो सहारा मिला ,सोचते हुए वो बैग खोल कर वाइन निकलने लगा उसने बाटल से सील हटाई एक सास मे ही आधी बाटल खाली कर दी ,उसे अब परिवार की याद आने लगी उसके दोनों बेटे पत्नी सब के बारे मे सोचते हुए उसे नींद आ गई वो वही सोफे पर सो गया, सुबह पाँच बजे उसकी आँख खुल गई उसे सात बजे सेमिनार में पहुँचना,
था ,,,उसने लडके को फोन लगाया चाय का बोलकर फ्रेश होने चला गया .वो तैयार हो रहा था तभी खटखट की आवाज़ आयी अन्दर आ जाओ दरवाजा खुला है वो अन्दर आ गया पीछे एक लडकी भी अन्दर आ गई उसके हाथ में भी कुछ सामान था साहब ये मेरी बहेन करूवा है !बरिश की वजह से कोई मिलेगा नहीं इसलिए साफ सफाई के लिए इसे ले आया !करूवा नाम कुछ सुना सा लगा जतिन ने उस लडकी को पलट कर देखा साधरण नैनक्श वाली बच्ची थी .जतिन ने घडी पर नजर डाली सात बजने वाली थीं उसने कुछ नोट टिप के तौर पर उस लडके के हाथ में थमा दिये तब तक करुवा ने पूरा कमरा साफ कर लिया था दोनों बच्चों के चेहरे पर खुशी तैर गई . साहब आप बहुत अच्छे हो साहब आप शाम यही रुकेगे हा एक रात की तो बात है पता नहीं सेमिनार मे कितनी देरी, हो जाए सोचते हुए जतिन सिढिया उतरने लगा जल्दबाजी मे उसने आस पास के महौल पर ध्यान न दिया पर उसे वहा बरामदे में कोई नजर न आया ,वो मिटिँग में पहुँचा तो कुछ मिनिट लेट था रूही पर नजर पडते ही वो मुस्कुराया रूही सबको छोड उसके पास आ गई ,वो तीनो कहा है आज कल जतिन ने पूछा आपको नहीं पता रुही अचम्भे से उसे देखने लगी नही पाँच महीने पहले एक्सीडेंट में उनकी डेथ हो गई क्यू कैसे ये मुझे नही पता वो नो जतिन के चेहरे पर गम की लकीर खीच गई ,कार्यक्रम शुरू हो चुके थे पर उसका मन ना लगा वो चारो दोस्त जतिन सलिल सौरभ और दिवाकर चारो तीन साल पहले मौज मस्ती के इरादे से अल्मोडा आये थे बाइस छब्बीस के ऐज के थे सब"" तभी रूही नाश्ता लेकर आ गई आप भी कुछ ले लीजिए आप ने कुछ खाया नही होगा जतिन की आखो में कुछ बूदे तैर गई जो रुही से न छूप सकी अभी भी उनके लिए ही सोच रहे हो जो होना था हो गया सेमिनार समाप्त होते होते तीन बज गई रुही उसके पास आकर बोली चलो जतिन तुमको चाय पिलाती हू बहुत अच्छी चाय बनाता है !होटल वाला जतिन के पास वैसे भी बहुत समय था काटेज जाकर भी क्या करता वो रुही के पीछे चल पडा वाकई मे चाय बहुत जबरदस्त बनी है ,उसने मौन तोडा रूही मुस्कुरा दी कभी रुही उसका प्यार थी पर पिता की वजह से उसे रागिनी से शादी करनी पडी ,थी आज भी रुही नहीं बदली चले अब अन्धेरा होने वाला है !और बरिश भी हो रही है ,पहाडो का कोई भरोसा नहीं ज्यादा देर बाहर रहना ठीक नहीं ,रुही ने कुछ इस अन्दाज से कहा की जतिन के अन्दर एक झुरझुरी सी फैल गई , रूही ने उसे बाय किया और अपनी गाडी की ओर मुड गई तभी उसका फोन बज उठा उसने रागिनी को सुबह आने का बोला ,और गाडी मे बैठ गया काटेज के सामने रूकते ही नेटवर्क चला गया !उसने सेलफोन गाडी मे ही रख दिया वो लडका उसे वही बाहर ही ,मिल गया वो जतिन के साथ साथ रुम तक आया काटेज मे बडा सन्नाटा फैला था !उस लडके ने बताया साहब आज सब चले गये आप अकेले हो मै आपको कपनी दे देता पर माँ की तबियत खराब है सुबह मै जल्दी आ जाऊगा ,एक बार उसके मन में आया कि रुही के पास होटल मे चला जाय फिर ,उसके मन ने धिक्कारा रूही क्या सोचेगी। उसने अन्दर से दरवाजा बन्द कर लिया तभी एक चमगादड़ खिडकी के रास्ते अन्दर घुस गया !बहुत मुश्किल से बाहर निकाला अब तक वो थक चुका था उसने बची हुई वाईन निकली ,और गटागट पी गया वो पलंग पर लेट गया और उसे तीनो दोस्तो की याद आ गई अचानक कमरे मे एक सुगंध फैल गई , कमरे की दीवारे परदे सब बदल गये ,तभी दरवाजे पर ठकठक की आवाज़ आयी कौन है, वो डर गया जी साहब करुवा उसने दरवाजा खोला बाहर करुवा खडी थी अचानक से वो अन्दर आ गई ,और दरवाजा लगा लिया वो कुछ समझ पाता तब तक वो खिडकी के पास पहुंच गई ,और उसने खिडकी से छलांग लगा दी ,वो अवाक सा खडा देखता रहा फिर उसके मुह से चीख निकल गई ,उसने खिडकी के पास जाकर देखा पीछे बहुत गहरी खाई थी !वो डर गया उसने चद्दर मुह तक ओढ ली उसकी नीन्द उड चुकी थी ,उसे याद आया ये वही कमरा था जिसमे चारो रुके थे काटेज जिनका था, वो काका बुजुर्ग थे ,उनकी एक बेटी थी गजब की. खूबसूरत सारे पहाडो की खूबसूरती उसमे ही समा गई थी .दिवाकर जब से आया था उसकी नजर उसपे ही थी काका ने उसे करुवा नाम से ही बुलाया था !काका की बीमारी की वजह से सारे गेस्ट करुवा ही सभालती थी !उस रात मौजमस्ती चल रही थी ,उसपर बियर का नशा .किसी को होश न था रात की एक बज रही थी , दरवाजे पर ठकठक हुई कौन है बे दिवाकर ने दरवाजा खोला बाहर करुवा खडी थी !सर आप थोडी आवाज़ कम कर लिजिए दूसरे गेस्टो को परेशानी हो रही हैं ,तभी सलिल उसके पास जाकर खडा हो गया ! उसने बाहर से दिवाकर को इशारा किया !दिवाकर ने उसे अंदर खीच लिया ,सलिल ने उसका मुह बन्द कर दिया फिर शराब उसके मुंह में उडलने लगे ,वो चिखती रही पर उसकी आवाज अन्दर ही घुट गई उसके मुह में कपडा ठूंस दिया और उसके हाथ बाध दिये अब तक उन चारो की आखो में हैवानियत उतर चुकी थी, उसके कपडे खीच कर तार तार कर दिये अब वो थक चुकी थी ,नशे की वजह से उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था ,अब वो बेसुध पडी थी, सब उसे नोच रहे थे, पर वो बेजान सी पडी काफी देर बाद उसने आखे खोली , और लडखडाते कदमो से खिडकी पास पहुची, और फिर उसने खिडकी से छलंग लगा दी , एक चीख के साथ वो खाई मे समा गई वो चारो डर गये !और रात में ही वहा से निकल गये ,उसके बाद वो चारो कभी नहीं मिले, उसे उसकी गरदन पर कुछ महसूस हुआ, उसने चद्दर हटाया सामने करूवा खडी थी! उसके तन पर एक भी कपडा नही था ,गुस्से की वजह से उसकी आँखें डरावनी लग रही थी ! उसकी चीख निकल गई जतिन उसके पैरो पर गिर गया मुझे छोड दो . तुमने मुझे छोडा था मै चीख रही थी !गिडगिडा रही थी !उसने एक झटके से उसे उठाया और खिडकी से खाई में फेक दिया !काफी देर तक जतिन की चीखे गूजती रही ,पर वहा सुनने वाला कोई न था ! सुबह की पहली किरण के साथ रुही की गाडी आकर रुकी, वो लडका उसके पास आया मेमसाहब मैंने ही आपको फोन लगाया था ! साहब के फोन से ,साहब का फोन यही गाडी मे पडा था ! साहब सुबह से मिल नहीं रहे , अच्छा वो कहा रुके थे !वो लडका उसे उस रुम मे ले गया ,वहा तीन साल पुराने कुछ पेपर पडे थे ! जिसमे दो बुजुर्ग दंपति ने फांसी लगयी वजह उसकी बेटी भाग गई ये न्यज थी! रुही बाहर निकल कर कॉटेज को देखती जा रही थी , वो काटेज खँडहर हो चुका था सब और ऊँची ऊँची घास .यहा जतिन क्यू रुका होगा !उसके दिमाग ने सरगोशी की जतिन जरूर किसी अनहोनी का शिकार हो गया , और उसने वहाँ से निकलने मे ही अपनी भलाई समझी ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️मेरी कलम से रीमा ठाकुर 🙏
रानापुर झाबुआ मध्यप्रदेश
भारत
0 टिप्पणियाँ