सुप्रभात
देखो देखो दिनकर आ रहा
धरा से मिलने आ रहा है ।
हवा ने भी बाहें फैलाई
वह शर्म से लाल हो गया ।
धरा भी उसे देख खिल गई
उसकी आगमन पर वह भी
प्यार में उसके खो गई
चारों तरफ लाली छा गई।
पक्षियों का गुंजार हो रहा
पवन भी मंद मंद बह रही।
मंदिरों में घंटियां बज रही
मस्जिद में अजान चल रही।
जीवन में चेतना का संचार हो रहा
दैनिक क्रिया से निवृत्त हो लोग
अपने अपने काम पर चले ।
सूरज भी तपता गया
मेहनत वह करता गया ।
सुबह से शाम हो गई
जाते-जाते वह लाल हो गया ।
धरा से अगले दिन
आने का वादा कर
अपने गंतव्य पर चल दिया।।
दिल की कलम से
मधु अरोड़ा
16.5.2021
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