कानून कुदरत का#अदीक्षा देवांगन"अदी" जी द्वारा खूबसूरत गजल#

*गज़ल!*
          *अदीक्षा देवांगन"अदी"*
       *१२२२ १२२२ १२२२ १२२२*
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सज़ा-ए-ग़म  सुनाता  है सही कानून कुदरत का,
सज़ा मिलती रहे हरदम,यही दस्तूर किस्मत का!

हमें  सब  जानते हैं दिल  हमारा यार सबका है,
रहे उनकी इनायत तो पुरा हो काम हसरत का!

इबादत हो खुदा की और पूजा हो महाशिव की,
नमन हो  ईश  का  हरदम रहे इंसान रहमत का!

दिले-नादां  सुनाता  है  कहानी प्यार के किस्से,
न जाने कौन दीवाना बुना था जाल नफ़रत का!

दिखा दो ये जमाने को निभाकर प्यार  कैसा हो,
कि चाहे जान भी जाए मुबारकबाद जनमत का!

नज़ारा देख लो दिल से तिज़ारत हो गई  दिल की,
लिहाज़ा कौन सौदागर यहाँ पे आज अज़मत का!

"अदी" फिर आजमाती है,नसीबे- रूह को खुद से,
हया  को  शर्म  आती  है  यही  है हाल गुरबत का!

             अदीक्षा देवांगन"अदी"
            बलरामपुर (छत्तीसगढ़)

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