मैं भारत की नारी हूँ।।
मैं भारत की नारी हूँ।।
संवेदनाओं की वाहक,
और संस्कार की आदी हूँ।
मैं अर्धागंनि कहलाती हूँ,
पुरूष को संपूर्ण बनाती हूं
मुस्कान अधर पर रखती हूँ,
मैं होती कभी उदास नहीं।
सबको अवकाश मिला है पर,
मेरा कोई अवकाश नहीं।।
किस किस पर दोष लगाऊं मैं,
खुद अपनों से हारी हूँ।
पहचान मेरी बस इतनी है,
मैं भारत की नारी हूँ।।
वन वन भटकी सीता बन कर,
फिर भी मुझे परित्याग मिला।
मैने अनुराग दिया सबको,
मुझको ना वो सम्मान मिला।।
मेरे हिस्से जो आया था,
उसमें से ही कुछ भाग मिला।
अपराध करे कोई भी पर,
मुझको ही केवल दाग मिला।।
बचपन से सिखलाया मुझको,
मैं केवल आज्ञाकारी हूँ।
पहचान मेरी बस इतनी है,
मैं भारत की नारी हूँ।।
सुरपति का पाप न जान सकी,
पति समझ समर्पण कर बैठी।
मैं स्वामी भक्ति में डूब गई,
अपना तन मन अर्पण कर बैठी।।
मैं वही अहिल्या हूँ जिसने,
एक पाखंडी का पाप सहा।
मेरा कुछ दोष नहीं था पर,
ऋषि का मैने अभिशाप सहा।।
मकरंद लुटाने वाली मैं,
सबको लगती फुलवारी हूँ।
पहचान मेरी बस इतनी है,
मैं भारत की नारी हूँ।।
वसुधा जैसी हूँ सृजनशील,
मैने सबका हित सोचा है।
लेकिन दुर्दांत लुटेरों ने,
अक्सर मेरा तन नोचा है।।
मैं वही दामिनी हूँ,
सड़कों पर चीखी थी चिल्लाई थी।
दिल्ली के दिल वालो बोलो,
क्या तुम्हे दया कुछ आई थी।।
संवेदन सीन हुए थे तुम,
मैं जीवन अपना हारी हूँ।
पहचान मेरी बस इतनी है
मैं भारत की नारी हूँ।।
सम्मान मुझे यदि मिला कभी,
मैने इतिहास बनाया है।
वो मृत्युदेव यमराज,
स्वयम् ही मुझसे मुंहकी खाया है।।
तीनो देवों को पुत्र बना कर
स्तनपान कराया है।
मैं वो अनुसुईया हूँ जिसने,
दुनिया को सबक सिखाया है।।
मत भावनांए भड़काओ तुम,
मैं दबी हुई चिंगारी हूँ।
पहचान मेरी बस इतनी है
मैं भारत की नारी हूँ।।
अम्बिका झा 👏
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