प्रकाश कुमार मधुबनी'चंदन' जी द्वारा माँ विषय पर अद्वितीय रचना#

*स्वरचित रचना*
*माँ क्यों जगदम्बा कहलाती है*
बच्चे का पालन पोषण करने के
 लिए वह कुछ भी कर जाती है।
माँ होती ही ऐसे है अपने बच्चों
के सलामती के लिए मर जाती है।

सबसे पहले जीवन में अस्तित्व के
लिए अपना खून तक पिलाती है।
भले ही दुनिया ठुकरा दे बच्चे को
किन्तु माँ उसमें स्वप्न सजाती है।

कहना आसान है एक स्त्री की व्यथा,
माँ तो इससे कई ऊपर उठ जाती है।
भले पत्नी घर को मंदिर बनाती हो।
किन्तु माँ ही घर को स्वर्ग बनाती है।

बच्चों के अस्तित्व पर खतरा देख 
वह कभी कभी सहम सी जाती है।
वही जो हजार दुख से भले गुजरे 
किन्तु चुपचाप ही सह जाती है।

माँ और पिता का पूरा सम्मान करो।
उन्हें कभी ठेस न पहुंचे यह ध्यान रखो।
अरे पिता हमारे लिए आसमान होते है
माँ बच्चों के लिए स्वंय धरा बन जाती है।

प्रकाश कुमार मधुबनी'चंदन'

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ